तीन प्रकार से लगेगा जीएसटी|Three Types Of GST

जीएसटी के अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों की ओर से लिए जाने वाले टैक्सों को सिर्फ तीन टैक्सों में शामिल कर लिया गया है।
  1. सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स| Central Goods and Service Tax (CGST)
    माल का लेन-देन अगर एक ही State के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स (CGST) केंद्र सरकार को देना पड़ेगा।
  1. स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स |State Goods and Service Tax (SGST)
    माल का लेन-देन अगर एक ही State के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स (SGST) राज्य सरकार को देना पड़ेगा।
  1. इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स| Integrated Goods and Service Tax (IGST)
    माल का लेन-देन अगर अलग-अलग States के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स (IGST) केंद्र सरकार को देना पड़ेगा।
Note: राज्य के अंदर लेन-देन की स्थितियों में आपको हर Deal पर दो Tax देने पड़ेंगे। केंद सरकार को CGST और राज्य सरकार को SGST। दो राज्यों के बीच लेन-देन की स्थिति में सिर्फ एक टैक्स देना पड़ेगा IGST सिर्फ केंद्र सरकार को।
For Example : मान लेते हैं कि एक Company ने थोक व्यापारी से कच्चा माल खरीदा। सौदे के दोनों पक्ष एक ही राज्य के अंदर स्थित हैं। कुल माल 10 लाख रुपए का है और इस पर 18 प्रतिशत GST लगता है। यह सौदा होने पर थोक व्यापारी उस कंपनी से 10 लाख की खरीद पर 18 प्रतिशत टैक्स  वसूलेगा। केंद्र और राज्य दोनों के Tax Department को वह आधा-आधा यानी 90-90 हजार रुपए जमा कर देगा। इससे अलग अगर सौदा दो राज्यों के दो पक्षों के बीच हो रहा है तो सिर्फ IGST  के रूप में 1 लाख 80 हजार रुपए केंद्र सरकार को देने पड़ेंगे।

जीएसटी की दर|Rate Of GST

GST Council ने अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं के लिए जीएसटी के कुल पांच स्लैब मंजूर किए हैं। ये हैं zero, 5%, 12%, 18% and 28%.। अति आवश्यक वस्तुओं पर कम से कम Tax लगाकर और विलासी व कम Important वस्तुओं पर ज्यादा से ज्यादा Tax लगाकर जीएसटी को ज्यादा से ज्यादा न्यायपूर्ण बनाने की कोशिश की गई है। जैसे कि Air Conditioner, Refrigerator, Makeup आदि पर 28 प्रतिशत GST तय किया गया है। जबकि कच्चा माल मसलन अनाज और ताजी सब्जियों आदि पर Zero  टैक्स तय किया गया है। इसी प्रकार Education और Health सुविधाओं को Tax  के दायरे से बाहर रखा गया है।












जीएसटी में टैक्स कैसे दिया जाएगा | How To Pay Tax In GST System

अब ये समझते हैं कि जो टैक्स जीएटी के रूप में सरकार को देंगे, उसे सरकार आपसे वसूलेगी कैसे-
मान लेते हैं कि एक पैंट का  कपड़ा है, यह उत्पादक Company (निर्माण स्थल) से चलकर Consumer तक पहुंचता है। इस बीच उसे कुछ Stages से होकर गुजरना पड़ता है। यहां हमने Concept को आसानी से समझाने के लिए सिर्फ तीन Stage लिए हैं। हकीकत में यह इससे ज्यादा या कम भी हो सकते हैं।
  • सबसे पहले उत्पादक Company से माल Wholesaler के पास जाता है
  • Whole Saler से फिर माल Retailer के पास जाता है
  • Retailer से फिर माल Consumer यानी ग्राहक के पास पहुंचता है
जैसा कि ऊपर हमने बताया कि जीएसटी खरीदार से वसूल किया जाएगा। लेकिन इससे पहले सामान की जिन-जिन Stages पर दाम में बढोतरी यानी Value Addition हुई है (सामान के स्वरूप में बदलाव या अन्य किसी लागत के कारण) वहां-वहां पर हर बार GST वसूल ​किया जाना है। जो पहले वाले खरीदार ने GST अदा किया था, वो जब आगे दूसरे को माल बेचेगा तो उससे वो GST वसूल लेगा। तो अब यह स्थति होगी-
  • उत्पादक Company से माल लेते वक्त Whole Saler पर जीएसटी लगेगा। लेकिन कंपनी उसे लेकर भरेगी।
  • Whole Saler से माल लेते वक्त Retailer पर जीएसटी लगेगा। होलसेलर उसे सामान के मूल्य के साथ वसूल करके भरेगा।
  • Retailer से माल लेते वक्त Consumer जीएसटी अदा करेगा । रिटेलर पर भरने की
    जिम्मेदारी होगी। final consumer पर जीएसटी भरने के जिम्मेदारी नहीं है।

टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगी|  How To Get Tax Credit ?

यहां हम देखते हैं कि माल की खरीदारी के क्रम में  GST तो सबने अदा किया। पहले Whole Saler ने, फिर Retailer ने और फिर Consumer ने। तो फिर जो पहले बताया गया कि सिर्फ Consumer जीएसटी अदा करेगा, उसका क्या Funda है? आइए समझते हैं। दरअसल Whole Saler और Retailer ने अपनी बारी में जो जीएसटी जमा किया था, उसे वो आगे चलकर Tax Credit के माध्यम से सरकार से वापस पा सकते हैं। जीएसटी का Monthly Return भरते समय वे इसे अपने उपर बन रही देनदारी में Adjust करा सकते हैं।
ये जो टैक्स के Adjust होने की प्रक्रिया है इसे ही जीएसटी में Tax Credit System नाम दिया गया है। इस टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था का फायदा बीच के स्टेजों में आने वाले व्यवसायी तभी उठा पाएंगे, जबकि उनके पास उन स्टेजों पर की गई बिक्री की रसीद हों। क्योंकि जो खरीदार होगा, उसकी भी रसीदें सरकार के पास Online मौजूद होंगी और जिसने बेचा है उसकी भी। जब दोनों स्तर की रसीदों का मिलान सही होगा, तभी उन बीच वाले व्यवसायियों को Tax Credit का फायदा मिल सकेगा।

जीएसटी वसूली का उदाहरण| GST: An Example

जीएसटी वसूली की इस प्रक्रिया को और आसान से समझने के लिए उदाहरण के लिए हम Stepwise घटनाक्रम को एक Table में दिखा रहे हैं।
मान लेते हैं कि एक Pant बनाने के लिए 2 मीटर कपड़ा टेलर ने कपड़ा उत्पादक से खरीदा। कपड़े का दाम 200 रुपए प्रतिमीटर है। मान लेते हैं कि इस Product पर 10 प्रतिशत GST लगता है।  कपड़े की खरीद से शुरू होकर ग्राहक के हाथों में पहुंचने तक इस पर GST कैसे लगेगा, देखते हैं।
Note: जीएसटी वसूले जो के बाद केंद्र और राज्य सरकार दोनों के ​हिस्से में बंटकर जाएगा। हम यहां दोनों को जोडकर कुल 10 प्रतिशत जीएसटी अपनी गणना में शा​मिल करेंगे। इससे Concept को समझने में भी आसानी रहेगी।
Stepwise घटनाक्रमखरीदी जा रही वस्तु का दाम(जीएसटी के पहले)जीएसटी चुकाना पड़ेगा (खरीदार को)खरीदारी के लिए चुकाई गई कुल धनराशिअंतिम रूप से (टैक्स क्रेडिट होने के बाद) सरकार के हिस्से में आया जीएसटी
Step 1: हैंडलूम कारीगर से टेलर ने 200 रुपए मीटर का 2 मीटर कपड़ा खरीदा पैंट बनाने के लिए।400 रुपए40 रुपए( सौदे का 10 प्रतिशत)440 रुपए 40 रुपए
Step 2: टेलर ने पैंट तैयार करके अपना मेहनताना जोड़कर पैंट 700 रुपए में रिटेलर को बेच दी।700 रुपए70 रुपए (सौदे का 10 प्रतिशत)770 रुपए30 रुपए( 40 रुपए टैक्स क्रेडिट के माध्यम से टेलर को वापस मिल जाएंगे)
Step 3: रिटेलर ने पैंट बेची ग्राहक को 800 रुपए में 800 रुपए80 रुपए880 रुपए10 रुपए ( 70 रुपए टैक्स क्रेडिट के माध्यम से टेलर को वापस मिल जाएंगे)
निष्कर्ष: Consumer यानी अंतिम ग्राहक की जेब पर 880 रुपए का बोझ पड़ा ,,  ,, ,,Total: 40+30+10=80 रुपए
  • इस Table में हम देखते हैं कि माल (पैंट )उत्पादक से लेकर ग्राहक तक पहुंचने की प्रक्रिया में तीन बार GST दिया गया।
  • तीनों में से पहले के दोनों Stages पर दिया गया GST सरकार ने Tax Credit के माध्यम से Tailer और WholeSaler को वापस कर दिया।
  • आखिरकार, जो जीएसटी की मात्रा अंतिम ग्राहक से ली गई थी, सरकार के पास उतना ही Net GST जमा बचेगा

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