G.S.T KI JAROORAT KYO PADI

जीएसटी क्या है| What is GST?

दोस्तों जीएसटी (GST) आ गया है। भारतीय Indirect Tax System में सबसे बड़े बदलावों के साथ। वस्तुओं की बिक्री और Services की उपलब्धता पर लगने वाले तमाम तरह के Central  और State Taxes खत्म हो गए हैं। उनकी जगह पर बचा है सिर्फ एक Tax। सिर्फ GST। जिसका फुल फॉर्म है Goods And Services Tax  यानि हिन्दी में ‘वस्तु एवं सेवा कर’। इस आर्टिकल में हम GST के बारे में Hindi में बताएंगे।
Tax System का हिस्सा होने के कारण व्यापारी इससे जुड़ तो रहे हैं, पर इसका Funda अब भी उनके लिए बहुत आसान नहीं है। Tax के माहिर Accountants की बात जाने दीजिए, सामान्य कारोबारी और Common Man के लिए यह अब भी टेढ़ी खीर ही है।  लोगों की इसी Problem को ध्यान में रखते हुए हम ये Article लेकर आए हैं।
इसमें हम बता रहे हैं कि भारतीय Tax System में GST क्या बदलाव लेकर आया है। कैसे यह Common Person  से लेकर कारोबार जगत से जुड़े हर स्तर के लोगों के लिए बेहतर Opportunity लेकर आया है। कैसे मंडी से लेकर देश की Economy तक यह Positive Effect छोड़ रहा है? जीएसटी को वसूलने/जमा करने की पेचीदगियों को भी भी हमने यहां Example के साथ सरल भाषा में सुलझाने की कोशिश की है।

जीएसटी यानी Goods And Services Tax । हिन्दी में हम इसे वस्तु एवं सेवा कर के नाम से जानते हैं। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह भी एक किस्म का Tax है जोकि वस्तुओं और सेवाओं के Consumption पर लगता है। अब आप जो भी सामान खरीदेंगे या सेवाएं प्राप्त करेंगे, उन पर आपको GST नाम का टैक्स भरना है। यह देश भर में वस्तुओं और सेवाओें की बिक्री पर लगने वाले तमाम तरह के  Central और राज्य स्तरीय Taxes के स्थान पर लागू हो रहा है।
मतलब यह कि जीएसटी शुरू होने के साथ ही पहले से मौजूद सारे Tax  खत्म; और उनकी जगह बचा एक अकेला Tax, GST जिसे उपभोक्ताओं को यानी हमें देना पड़ेगा। GST की एक बड़ी खासियत यह भी है कि किसी भी एक समान पर इसका Rate पूरे देश में एक जैसा होगा। यानी देश के किसी भी कोने में मौजूद Consumer को उस वस्तु पर एक बराबर Tax चुकाना पड़ेगा।

पहले के सिस्टम में क्या थी गड़बड़ी| Demerit Of Earlier System

पुरानी व्यवस्था में टैक्सों का मकड़जाल बहुत गहरे तक फैला था। उदाहरण के लिए जैसे ही माल Factory से निकलता था, सबसे पहले उस पर लगता था उत्पाद शुल्क यानी Excise Duty । कई बार कई सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क यानी Additional Excise Duty भी लगता था। यही माल अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा है तो राज्य में घुसते ही Entry Tax लगना था।           
                                                                                                                
इसके बाद जगह-जगह चुंगियां अलग से। जब माल बिकने की बारी आई तो Sales Tax  यानी VAT की मार। कई मामलों में Purchase Tax भी लगता था। सामान अगर  विलासिता से जुड़ा है तो Luxury Tax  अलग से। होटलों या रेस्टोरेंट आदि में वह सामान उपलब्ध कराया जा रहा हो तो Service Tax अलग से। मतलब यह कि Consumer के हाथों में पहुंचने से पहले कोई सामान या सेवा कई स्टेजों पर कई Duties या Taxes से होकर गुजरता था। इस तरह किसी सामान या सेवा के ग्राहक के हाथों तक पहुंचने तक, कई चरणों में अलग-अलग रेट के कई टैक्स लग जाते थे।


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